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In Yet another depiction of hers, she is demonstrated as a sixteen-year-previous young and sweet girl decorated with jewels by using a stunning shimmer as well as a crescent moon adorned over her head. She is sitting about the corpses of Shiva, Vishnu, and Brahma.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥
॥ इति त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः सम्पूर्णं ॥
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
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रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram